राधास्वामी पंथ का खुलासा
#राधास्वामीपंथ_की_सच्चाई
आइए आज आपको रूबरू करवाते हैं कि एक ऐसी सच्चाई से जिससे आप अब तक अनजान थे...!
जानते हैं राधा स्वामी पंथ की सच्चाई क्या है....👇🏻👇🏻👇🏻
राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक माने जाने वाले श्री शिवदयाल जी करते थे नशा।
शिवदयाल जी मृत्यु के पश्चात भूत बने थे और अपनी शिष्या बुक्की में प्रवेश करके हुक्का पीते थे और खाना खाते थे।
जानिए पूरी सच्चाई इसी पंथ की पुस्तकों से
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राधास्वामी पंथ की पुस्तक "जीवन चरित्र हुजूर स्वामी जी महाराज" के पृष्ठ 54,55,56 में कुछ लेख लिखा है जो कि इस प्रकार है :- "बुक्की नामक शिवदयाल जी की एक शिष्या थी जो शिवदयाल जी के सत्संग वचनों को सुनकर कई घण्टो तक रोती रहती थी।
वह स्वामी जी के चरण में पड़ी रहती थी। स्वामी जी का एक चरण का अंगूठा अपने मुख में लेकर उसके रस का आनंद लिया करती थी। जब कोई स्वामी जी महाराज के चरण छूने के लिए बुक्की जी को उठाना चाहते तो वो चरण को नही छोड़ती थी तब उस भगत को दूसरे चरण को छूने के लिए कह दिया जाता था। (सोचने वाली बात है वर्तमान के राधास्वामी पंथ के गुरु बोलते है कि जो चरण छुआते है वो गुरु नही है जबकि उनके प्रवर्तक खुद चरण छुआते थे। ऐसा क्यों? )
फिर आगे लिखा है कि स्वामी जी के अंतर्ध्यान (मृत्यु ) होने के बाद बुक्की जी अस्वस्थ रहने लगी और कुछ नही खाती थी। लगभग महीने भर यही क्रिया चलती रही फिर एक दिन स्वामी जी ने उन्हें दर्शन दिए और बोले कि तुम ओरो की तरह ही सेवा पेशतर किया करो तब बुक्की जी खुद अपने हाथों से खाना बनाकर मेरी(प्रताप सिंह जी= शिवदयाल जी के भाई) पन्नी गली वाले मकान में पलंग पर खाना और हुक्का भरकर रखती थी।
और फिर स्वामी जी उसमे प्रवेश कर जाते थे तो वो खाना और हुक्का पीती थी।
मैं(प्रताप सिंह जी) जब कभी व्यवसाय में कोई समस्या आती तो बुक्की जी के माध्यम से स्वामी जी से आदेश लिया करता था और वैसे ही करता था।
मतलब है कि बुक्की जी के अंदर स्वामी जी प्रेतवश प्रवेश करके बोलते थे।
ऐसे ही 2-4 बार राय साहब ने भी बुक्की जी के जरिए मौज हासिल की थी।
👉🏻 विवेचन :- 1. क्या हुक्के का सेवन करने वाला नशेड़ी कभी भक्ति कर सकता है।
कबीर साहेब की वाणी में लिखा है कि "अमल आहारी मानव .........."
शिवदयाल ने मरने के बाद बुक्की जी को भी हुक्का पीना सीखा दिया।
खुद का जीवन तो नाश किया ही किया और दूसरों का और कर दिया।
2. बुक्की जी में स्वामी जी प्रेतवश प्रवेश करते थे और प्रताप जी और राय साहब उनसे आदेश लेते थे।
विचार करिए क्या जब गुरु ही भूत बना हो तो उनके अनुयायियों के क्या होगा।
ये बाते करते है सतलोक, सच्चखण्ड की और बने फिर रहे है भूत
क्या ऐसे पंथ और ऐसे गुरुओं से मोक्ष प्राप्त हो सकता है ?
गीता अ. 9 श्लोक 25 में लिखा है कि जो भूतों की पूजा करते है वो भूत बनते है।
शिवदयाल जी का जो हाल हुआ वही उनके अनुयायियों के होगा।
अब बात आप पर डिपेंड है कि आपको मोक्ष पाना है या भूत बनना है।
जरूर देखें
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साधना चैनल 07.30 pm से।
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