..अथ मंगलाचरण ..

गरीब नमो नमो सत् पुरूष कुं, नमस्कार गुरु की मां। सुरनर मुनिजन साधवा, संतों सर्वस दीन .1।
सतगुरु साहिब संत सब डंडौतम् प्रणाम। आगे पीछा मध्य तक, तिन कुं जा कुरबान .2।
नराकार निरविषं, काल जाल भय भंजनं। निर्लेपं निज निर्गुणं, अकाल अनूप बेसुन्न धुनं .3।
सोहं सुरति समापतं, सकल समाना निरती लै। उगल हिरण हरदमं बे परवाह अथाह है, वार पार नहीं मध्यतं .4।
गरीब जो सुरिरत सिद्ध होई, गण नायक गलता। करो अनुग्रह सोई, पारस पद प्रवाना .5।
आदि गणेश मनाउं, गण नायक देवन देव। चरण क्वानल ल्यो लाउं, आदि अंत करहूं सेवा .6।
परम शक्ति संगीत, सिद्धि सिद्धि दाता सोई। अबीगत गुणह अतीतं, सतपुरुष निर्मोही .7।
जगदम्बा जगदीशं, मंगल रूप मुरारी। तन मन अरपुं शीशं, भक्ति मुक्ति भंडारी .8।
सुर नर मुनिजन ध्यावां, ब्रह्मा विष्णु मशा। शेष सहंस मुख गायकं, पूजैं आदि गणेश। 9।
इन्द कुबेर सरीखा, वरुण धर्मराय ध्यावां। सुमेरथ जीवन जीका, मन इच्छा फल पावैं .10।
तेतिस कोटि अधारा, ध्याआं सहंस अठसी। उतरैं भवजल पारा, कटि हैं यम की फांसी .11।
🙏
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